मध्य प्रदेश का सामान्य परिचय
मध्य प्रदेश के सामान्य परिचय में आज सभी परीक्षाओं में आए हुए महत्वपूर्ण तथ्यों को जानेंगे जो मध्य प्रदेश की सभी परीक्षाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है
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राज्य दिवस मध्यप्रदेश दिवस 1 नवम्बर
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मध्यप्रदेश की स्थापना 1 नवम्बर 1956
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1 नवम्बर 1956 को म.प्र. में 43 जिले तथा 7 या 8 संभाग थे।
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राजकीय फसल – सोयाबीन (आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार म.प्र., भारत में सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक है।)
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मध्यप्रदेश गान – मेरा मध्यप्रदेश (रचनाकार महेश श्रीवास्तव, गीतकार शांतनु मुखर्जी, संगीतकार – सुनील झा 2010-11 में राजकीय गान घोषित किया।) नोट- महेश श्रीवास्तव को 2012 का गणेश शंकर विद्यार्थी पुरुस्कार मिला है।
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मध्यप्रदेश की राजभाषा – हिन्दी
म.प्र. के उपनाम
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सोया प्रदेश सोयाबीन का सबसे ज्यादा उत्पादन के कारण।
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टाइगर प्रदेश- बाध रिपोर्ट 2022 के अनुसार म.प्र. में बाघों की संख्या सर्वाधिक है 785 (भारत-3682) अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस – 29 जुलाई
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हृदय प्रदेश- जिस प्रकार हृदय शरीर के लिए महत्वपूर्ण है, ठीक उसी प्रकार म.प्र. से बहुत सारी नदियां, सडकें व रेलमार्ग निकलते हैं। (हृदय प्रदेश नाम पं. जवाहरलाल नेहरू ने दिया)
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नदियों का मायका – म.प्र. पहाडी व पठारी क्षेत्र है, इसलिए यहां से बहुत सी नदियां निकलती है, इसलिए इसे नदियों का मायका कहा गया।
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दलहन प्रदेश सर्वाधिक दलहन उत्पादन के कारण।
म.प्र. का राज्य पुष्प
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राज्य पुष्प – लिली
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वैज्ञानिक नाम लिलियम कैन्डीडम
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कुल – लिनिएसी
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बाहुल्य क्षेत्र – सम्पूर्ण मध्यप्रदेश
म.प्र का राज्य नृत्य
मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण तथ्य
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राज्य नृत्य – राई (बुन्देलखण्ड क्षेत्र)
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यह नृत्य गुजरात के प्रसिद्ध गरबा नृत्य के समान ही प्रसिद्ध है।
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यह नृत्य, शादियों और त्योहारों में किया जाता है।
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राई नृत्य के केंद्र में मुख्य नर्तिका होती है, जो मृदंग और ढोल के धुन पर नाचती है।
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इसका मुख्य उद्देश्य मज़ाक और व्यंग्य पैदा करना होता है।
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प्रमुख कलाकार – ज्ञानेश्वरी (कटनी), राम सहाय पांडे (पद्मश्री- 2022)
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विशेष – राई नृत्य बुंदेलखंड तथा बघेलखंड दोनों क्षेत्रों में किया जाता है
म.प्र का राज्य नाट्य
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राज्य नाट्य माच (मालवा क्षेत्र)
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माच शब्द संस्कृत में मंच से बना है।
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माच का उद्भव राजस्थान के ख्याल से माना जाता है।
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म.प्र. में लोक मानस के प्रभावी मंच माच को उज्जैन में जन्म मिला है।
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ढोलक तथा सारंगी माच के महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र है।
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बालमुकुंद गुरु जी को माच का प्रवर्तक माना जाता है।
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उनके पश्चात् उस्ताद कालूराम ने माच लोकनाट्य की परंपरा को आगे बढ़ाया था।
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माच गुरुओं के रूप में प्रमुख रूप से श्री सिद्धेश्वर सेन, ओम प्रकाश शर्मा का नाम भी उल्लेखनीय है
म.प्र की राज्य मछली
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राज्य मछली – महाशीर
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वैज्ञानिक नाम – टौर प्युटिटौरा
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प्रजाति – टोर
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राजकीय मछली का दर्जा 2011
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विशेष – महाशीर प्रजनन केंद्र खरगौन के बडवाह में है।
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यह मछली नर्मदा नदी में पाई जाती है।
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इसे “टाइगर ऑफ वाटर” के नाम से भी जाना जाता है।
म.प्र का राज्य पक्षी
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राज्य पक्षी – दुधराज या शाह बुलबुल (पैराडाइज फ्लाईकैचर)
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वैज्ञानिक नाम टर्पसिफोनी पैराडाइसे
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घोषित वर्ष 1981
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विशेष – धार के सरदारपुर अभ्यारण्य में तथा रतलाम के सैलाना अभ्यारण में दूधराज पक्षी का संरक्षण है।
म.प्र का राज्य खेल
राज्य खेल – मलखम्भ
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राजकीय खेल का दर्जा अप्रैल 2013
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मलखंभ अकादमी उज्जैन में है (स्थापना – 2018)
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मध्य प्रदेश में 14 मलखंभ केन्द्र है। इंदौर, खरगोन, उज्जैन, बैतूल, दतिया, पन्ना, रतलाम, शाजापुर, शिवपुरी, ग्वालियर, टीकमगढ़, जबलपुर, छतरपुर एवं सागर में संचालित हैं। प्रभाष जोशी पुरुस्कार मलखंभ खेल के लिए दिया जाता है। स्थापना 2013, राशि 2 लाख रु
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प्रभाष जोशी पुरुस्कार प्रथम पुरुस्कारकर्ता अजय वक्तारिया, 2020 वैष्णवी कहार (उज्जैन), 2021- मुजाहिद बेग (उज्जैन) वर्ष 2020 में उज्जैन के मलखम्भ कोच योगेश मालवीय को द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
म.प्र का राज्य फल
राज्य फल – आम
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वैज्ञानिक नाम – मेंगीफेरा इंडिका
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विशेष – म.प्र. के रीवा में आम अनुसंधान केन्द्र है।
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विशेष – म.प्र. के अलीराजपुर जिले में नूरजहां प्रजाति का आम तथा रीवा जिले में सुंदरजा प्रजाति का आम पाया जाता है।
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रीवा के सुंदरजा आम को 2023 में GI TAG मिला है।
म.प्र का राज्य पशु
राज्य पशु – बारहसिंगा (ब्रेडरी प्रजाति)BOVARSINGH BARASINGHA
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वैज्ञानिक नाम – रूसर्वस डुवाउसेली प्रजाति बेडरी प्रजाति
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बारहसिंगा – कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान, बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
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राजकीय पशु घोषित 1981
विशेष – 2017 में कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान में सरकारी शुभंकर प्राप्त करने वाला देश का पहला टाइगर रिजर्व है। जिसका नाम:- भूरसिंह (बारहसिंगा) (डिजाइन रोहन चक्रवर्ती ने दिया)
विशेष – बारहसिंगा को दलदल का मृग भी कहा जाता है।
म.प्र का राज्य चिन्ह
राज्य स्थापना दिवस के बाद म.प्र. शासन ने राजकीय प्रतीक चिन्ह अपनाया, उसमें भारत के राजकीय चिन्ह और स्थानीय विशेषताएं, दोनों को महत्व दिया है।
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इस चिन्ह में सबसे बाहर 24 स्तूप आकृति है।
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इसके बाद एक वृत्त है, जो सतत तरक्की और विकास की असीम संभावनाओं का घोतक है।
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इस वृत्त के अंदर मध्यप्रदेश शासन और सत्यमेव जयते के साथ गेहूं (दाएं) और धान (बाएं) की बालियां भी अंकित है।
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केन्द्र के वृत्त में अशोक स्तंभ की सिंह आकृति और राज्य वृक्ष बरगद को दर्शाया गया है।
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