जनजातियाँ वह मानव समुदाय हैं जो अपने प्राकृतिक वातावरण में रहते है। अपना एकांकी जीवन व्यतीत करते हों और बाहरी समुदायों के साथ संपर्क करने में संकोच करते हों, इन की अपनी अलग रीति-रिवाज, अलग भाषा होती है। ये केवल अपने ही समुदाय में विवाह करते हैं। इन जनजातियों का अपना एक वंशज, पूर्वज तथा सामान्य से देवी-देवता होते हैं। ये प्रकृति पूजक होते हैं। मध्यप्रदेश में जनजातियों का भौगोलिक विस्तार पूरे और मध्य प्रदेश में है
मध्यप्रदेश में जनजातियों की विशेषताएं
मध्यप्रदेश में जनजातियों की सामाजिक विशेषताएँ
1 मध्यप्रदेश में जनजातिया पितृ सत्तात्मक होती है।
2 मध्यप्रदेश में जनजातिया एक विशेष सामाजिक संगठन में रहती है।
3 मध्यप्रदेश में जनजातिया बाहरी समुदाय या समाज की मुख्यधारा से दुर रखती हैं।
4 मध्यप्रदेश में जनजातिया विशेष वेशभूषा खान पान बाली होती है।
5 मध्यप्रदेश में जनजातिया प्रायः मांसाहारी होते है, जिसके लिए ये शिकार पर निर्भर रहती है।
6 मध्यप्रदेश में जनजातिया नग्न या अर्द्धनग्न अवस्था में पाए जाती है।
7 मध्यप्रदेश में जनजातियों का निम्न स्वास्थ्य स्तर निम्न होता है।
8 मध्यप्रदेश में जनजातियों की विशेष विवाह पद्धति होती है।
मध्यप्रदेश में जनजातियों की आर्थिक विशेषताएँ
मध्यप्रदेश में जनजातियो का मुख्य व्यवसाय कृषक अथवा मजदूरी करना है। मध्यप्रदेश में अत्यधिक जनजातिया कृषक भूमिहिन होते है। इन की निम्न बचत दर, निम्न आय समूह बाली होती है। जिससे इन में उच्च बेरोजगारी देखी जाती है। यह जनजातिया प्राकृतिक संसाधनो पर निर्भर होती है।मध्यप्रदेश में जनजातिया झूम कृषि पर निर्भर होती है।मध्य प्रदेश से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न दिए गए हैं
मध्यप्रदेश में जनजातियों की राजनैतिक विशेषताएँ
मध्य प्रदेश में जनजातीयो में राजनैतिक जागरूकता का आभाव राजनैतिक प्रतिनिधित्व का वास्वविक लाभ न मिल पाना, जिससे इन है। मानव अधिकार, मूल अधिकार एवं कानूनी अधिकारो के प्रति उदासीनता, संविधान की प्रस्वावना में वर्णित बंधुता की भावना से जागरूक नहीं होते हैं
मध्यप्रदेश में जनजातियों की सांस्कृतिक विशेषताएँ
मध्य प्रदेश में जनजातियो की विशेष भाषा बोलती है। इन की विशेष संस्कृति (आदिम संस्कृति), विशेष खानपान, वेशभूषा रहन सहन विशेष चित्रकला, मूर्तिकला, एवं शिल्पकला होती है।मध्य प्रदेश में जनजातियो के विशेष उत्सव, पर्व, त्यौहार होते हैं। इन का विशेष नृत्य, संगीत, साहित्य विशेष विवाह होता है।
विभिन्न विद्वानों के द्वारा जनजाति के अन्य नाम
मध्य प्रदेश में जनजातियों को विद्वानों ने अलग – अलग नाम से पुकारा है आदिवासी – काका कालेलकर, ए.बी. ठक्कर (ठक्कर बपा), एवं एल्विन, दौलत – अंग्रेज , पहाड़ी – जॉर्ज ग्रियर्सन, विलीन – डॉ. दास एण्ड दास , पिछडे – गोविद सदाशिव , गिरिजन – महात्मा गांधी ,भारतीय संविधान – अनुसूचित जनजाति
अन्य नाम-आदिम-जाति, वनवासी, प्रागैतिहासिक, असभ्य जाति, असाक्षर, निरक्षर तथा कबीलाई समूह इत्यादि।
मूल स्त्रोत– प्रोटो ऑस्ट्रेलॉयड, मंगोल, नीग्रिटो प्रजाति, द्रविड़ीयन, मुण्डा या कोलेरियन आदि।विश्व की बात करें तो सर्वाधिक जनजाति ‘अफ्रीका’ में बाद में भारत में पायी जाती है।
‘ठक्कर बप्पा’ को जनजातीय विकास कार्यक्रम का प्रणेता माना जाता है।
जनगणना के आधार पर मध्य प्रदेश जनजाति के विशेष तथ्य
जनगणना-1931 के अनुसार, ST को “बहिष्कृत” और “आंशिक रूप से बहिष्कृत” क्षेत्रों में निवास करने वाली “पिछड़ी जनजाति” कहा जाता है।मध्यप्रदेश में भारत की कुल जनजातीय जनसंख्या की 14.7% जनसंख्या निवास करती है।म.प्र. की अधिकांश जनजातियों की उत्पत्ति ‘नीग्रटो एवं प्रोटो-ऑस्ट्रेलॉयड’ प्रजातियों से हुई है।
2011 की जनगणना के अनुसार म.प्र. में राज्य की कुल जनसंख्या (7,26,26,809) का 21.09 प्रतिशत जनजातियां (1,53,16,784) है, जबकि भारत में 8.6 प्रतिशत है।
म.प्र. में कुल जनजातियां 1,53,16,784, जिनमें पुरूष 77,19,404 (50.39%) और महिला 75,19,404 (49.09%) हैं। कुल जनजातीय जनसंख्या (1,53,16,784) का 10.40 लाख (6.8 प्रतिशत) नगरों में रहती है। सर्वाधिक शहरी प्रथम- भिण्ड (76.8%) तथा अंतिम डिंडोरी (1.6%) भारत की सर्वाधिक जनजाति संख्या म.प्र. में है। (% की दृष्टि से 13वां स्थान है)
म.प्र. में ST का लिंगानुपात 984: 1000 है। (सर्वाधिक- बालाघाट (1050:1000)), मध्य प्रदेश में कुल जनजातीय जनसंख्या में साक्षरता – 50.6 प्रतिशत (पुरूष – 59.6 प्रतिशत) तथा (महिला- 41.5%), मध्य प्रदेश में कुल जनजातीय जनसंख्या का 49.9 प्रतिशत जनसंख्या काम करती है।
म.प्र. में कुल 46 जनजातियां केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त थीं, परंतु 2003 में ST की सूची में से कीर, मीना एवं पारधी जनजातियों को विलोपित कर दिया गया, इस प्रकार वर्तमान में 43 अनुसूचित जनजातियां अधिसूचित है, इनमें से 3 जनजातियां (बैगा, सहरिया, और भारिया) को विशेष पिछड़ी जनजाति घोषित किया गया है।
म.प्र. में सर्वाधिक जनसंख्या वाली दो जनजातियां भील , गोंड एव कोल है। 5वी, पंचवर्षीय योजना में जनजातीय विकास के लिए जनजातीय उपयोजना लाई गई थी।म.प्र. की विधानसभा में कुल 230 सीटों में से 47 सीटें ST के लिए रिजर्व है।लोकसभा में कुल म.प्र. की 29 सीटों में से 6 सीटें ST के लिए रिजर्व है।
मध्यप्रदेश पहला ऐसा राज्य है। जहाँ जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 का प्रभावी क्रियान्वयन किया गया।
2011 की जनणगना के अनुसार म.प्र. की जनजातियों
- सर्वाधिक ST जनसंख्या दशकीय वृद्धि दर- छतरपुर
- न्यूनतम ST जनसंख्या दशकीय वृद्धि दर- मंदसौर
- म.प्र. में जनजातियों की दशकीय वृद्धि दर 25.20 प्रतिशत
- म.प्र. में जनजातियों का जनसंख्या घनत्व – 50
- म.प्र. में कुल अनुसूचित जनजातियां – 43
म.प्र. की जनजातियां
मध्य प्रदेश में विशेष पिछडी जनजाति समूह के विकास हेतु योजनाएं बनाने व क्रियान्वयन करने हेतु 11 अभिकरण कार्यरत है, जो 15 जिलों में विस्तारित है।
मध्य प्रदेश में जनजातियों का भौगोलिक विस्तार
मध्य प्रदेश में सर्वाधिक वन पाए जाते हैं। तथा म.प्र. पर्वत तथा पठारी प्रदेश है।
- पश्चिम में धार, अलीराजपुर तथा झाबुआ में भील जनजाति पाई जाती है।
- मध्य हिस्सों में गोंड, कोरकु तथा भारिया जनजाति पाई जाती है।
- पूर्वी हिस्सों में बैगा तथा भारिया जनजाति पाई जाती है।
- मध्य भारत के पठार में सहरिया जनजाति पाई जाती है।
- रीवा पन्ना के पठार में कोल जनजाति पाई जाती है।
- बघेलखण्ड के पठार में बैगा तथा पनिका जनजाति पाई जाती है।
- मालवा के पठार में भील तथा गोंड जनजाति पाई जाती है।
म.प्र. के जनजातीय प्रदेश
- पूर्वी क्षेत्र की जनजातियाँ (कोल, बैगा तथा गोण्ड)
- पश्चिम क्षेत्र की जनजातियाँ (भील, भिलाला तथा कोरकू) (सर्वाधिक क्षेत्र में)
- उत्तरी क्षेत्र की जनजातियाँ (सहरिया, खेरबार)
- दक्षिण व मध्य क्षेत्र की जनजातियाँ (भारिया, कोरकू, गोण्ड प्रधान)
पूर्वी क्षेत्र की जनजातियाँ (कोल, बैगा तथा गोण्ड)
मध्य प्रदेश राज्य की 14.0 प्रतिशत जनजातीय जनसंख्या निवास करती है।जिले- शहडोल, सिंगरौली, सीधी अनूपपुर, डिंडौरी, उमरिया, कटनी आदि।जनजातियां- कोल, बैगा तथा गोण्ड,रीवा-पन्ना के पठार-कोल (प्रमुख),मंडला तथा डिंडौरी क्षेत्र में बैगा चक्र बनाए गए हैं। जनजातियों में साक्षरता का प्रतिशत अपेक्षाकृत अधिक है।
पश्चिम क्षेत्र की जनजातियाँ (भील, भिलाला तथा कोरकू) (सर्वाधिक क्षेत्र में)
मध्य प्रदेश राज्य की 1/3 (36.2 प्रतिशत) जनजातीय जनसंख्या निवास करती है।जिले- अलीराजपुर, बड़वानी, खंडवा, खरगोन, झाबुआ, रतलाम तथा धार आदि ।जनजातियां- भील, भिलाला तथा कोरकू।प्रमुख रूप से भील जनजाति पाई जाती है।
उत्तरी क्षेत्र की जनजातियाँ (सहरिया, खेरबार)
इस प्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र भी आता है।जिले- ग्वालियर, श्योपुर, शिवपुरी, मुरैना, गुना आदि।प्रमुख जनजाति-सहरिया।
दक्षिण व मध्य क्षेत्र की जनजातियाँ (भारिया, कोरकू, गोण्ड प्रधान)
मध्य प्रदेश राज्य की 23.28 प्रतिशत जनजातीय जनसंख्या निवास करती है।जिले- मंडला, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, बेतूल तथा होशंगाबाद, हरदा, पांढुर्ना आदिजनजातियां – भारिया, कोरकू, गोण्ड, परधान, बंदोरिया, बैगा।
Leave a Reply