दोस्त मोहम्मद खान अफगानिस्तान से भारत आकार प्रारंभ में मुजफ्फर नगर जिले के लोहारी जलालाबाद नामक ग्राम में आकर बसे जहाँ से वे आगे शाहजहाँबाद गए। यहाँ आकर वे मुगल फौज में सम्मिलित हुए तथा औरंगजेब और मीरफजुल्लाह के आदेश पर तर्जीबेग से ग्वालियर में युद्ध किया तथा उसके सेनापति काशको खान को मार दिया तत्पश्चात् उसे मालवा जाने का अवसर प्राप्त हुआ।
* मालवा के तत्कालीन मुगल सूबेदार के अधीन कार्य किया। कुछ समयोपरांत दोस्त इस ने बेरसिया परगने के मंगलगढ़ की रानी ठाकुर आनंदसिंह की माता के यहाँ शरण प्राप्त की। ये सोलंकी राजपूत महिला थी तथा दोस्त मोहम्मद खान की ईमानदारी एवं चरित्र से प्रभावित थी एवं दोस्त मोहम्मद खान को अपना पुत्र कहकर संबोधित करती थीं। रानी की मृत्यु के बाद संपूर्ण संपदा दोस्त मोहम्मद खान को प्राप्त हुई और वे बेरसिया चले आए।
* केन्द्रीय मुगल सत्ता के बिखरने से राज्य में अव्यवस्था फैली तथा चोर-डाकुओं का उत्पात बढ़ने लगा जिसे दबाने में मालवा के चांदखेड़ी तालुका के अधिकारी यार खाँ असफल रहे। अतः उन्होंने चांदखेड़ी तालुका 30,000 रूपये प्रतिवर्ष इजारे पर दोस्त मोहम्मद खान को प्रदान किया।
* इसके बाद दोस्त मोहम्मद ने अपने गुप्तचरों की मदद से होली की रात्रि पर पारसून के राज्य पर अधिकार कर लिया, जिससे दोस्त मोहम्मद खान का यश और कीर्ति चारों और फैल गई। इस्लामनगर की स्थापना के साथ ही उस ने नई रियासत की नींव डाली तथा जब माले गनीमत (शत्रु राज्य से लूटा हुआ माल) को मुगल दरबार में 1717 ई. में भेजा तब उन्हें सरदार दिलेर जंग का खिताब मिला।
* इस की एक अन्य महत्त्वपूर्ण विजय भेलसा के मोहम्मद फारूख पर थी, इसमें प्रारंभ में भारी क्षति उठानी पड़ी तथा बाद में भेलसा में छिपकर फारूख की सेना में घुसकर वीरता से युद्ध करते हुए मोहम्मद फारूख की हत्या कर उस भेलसा पर अधिकार कर लिया। भेलसा विजय के उपरांत इसने ने महालपुर, गुलगाँव, ग्यारसपुर, अम्बापानी, साँची, दोराहा, इछावर, सीहोर, देवीपुरा आदि पर कब्जा कर लिया।
गुन्नूर के गोंड शासक निजामशाह की हत्या चैनपुर बाड़ी के उनके ही रिश्तेदारों द्वारा करने पर विधवा रानी कमलावती ने दोस्त मोहम्मद को चैनपुर बाड़ी पर आक्रमण हेतु आमंत्रित किया। चैनपुर विजय उपरांत रानी कमलावती ने चैनपुर बाड़ी का प्रबंधन इस को ही सौंप दिया। रानी की मृत्यु होने पर समस्त क्षेत्र पर इस का अधिकार हो गया।
उपरोक्त वर्णित विवरण से स्पष्ट होता है कि दोस्त मोहम्मद खान ने न केवल भोपाल रियासत की नींव रखी बल्कि इसे एक सुदृढ़ आधार भी प्रदान किया।
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