नर्मदा नदी
नर्मदा नदी जिसे स्थानीय रूप से कही-कही रेवा नदी भी कहा जाता है। भारत की 5वीं व पश्चिम दिशा में बहने वाली सबसे लम्बी नदी है। यह मध्यप्रदेश राज्य की सबसे बड़ी नदी है। नर्मदा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में बहती है। इसे अपने जीवनदायनी महत्व के लिए मध्यप्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा भी कहा जाता है। नर्मदा नदी मध्यप्रदेश के अनुपपुर जिले के अमरकंटक पठार में उत्पन्न होती है। फिर 1312 पश्चिमी की ओर बहकर यह भरल्प से 30 किमी. पश्चिम में खंभात की खाड़ी में बह जाती है। जो अरब सागर की एक खाड़ी है, कुछ स्त्रौतों में इसे उत्तर भारत और दक्षिण भारत की पारंपरिक विभाजक माना जाता है।
नर्मदा नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के अनुपपुर जिले में विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रेणियों के पूर्वी संधि स्थल पर स्थित अमरकंटक में नर्मदा कुण्ड से हुआ है, नदी पश्चिम की ओर सोनमुन्द से बहती हुई एख चट्टान से नीचे गिरती हुई कपिलधारा नाम का एक जलप्रपात बनाती है। घुमावदार मार्ग और प्रबल वेग के साथ घने जंगलों और चट्टानों को पार करते हुये रामनगर के जर्जर महल तक पहुंचती है, आगे दक्षिण पूर्व की ओर रामनगर और मंडला के बीच ग्रहां जलमार्ग अपेक्षाकृत चट्टानी बाधाओं से रहित सीधे एवं गहरे पानी के साथ है। बंजर नदी बाई ओर से जुड़ जाता है। नदी आगे एख संकीर्ण लूप में उत्तर पश्चिम में जबलपुर पहुंचती है। शहर के करीब नदी भेड़ाघाट के पास 9 मीटर का जल प्रपात बनाती है जो कि धुआंधार के नाम से प्रसिद्ध है।
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संगमरमर चट्टानों से निकलते हुए अपनी जलोट मिट्टी के उपजाऊ मैदान में प्रवेश करती है। जिसे नर्मदा घाटी कहते हैं जो लगभग 320 किमी. तक फैली हुई है। यहां दक्षिण में नदी घाटी की औसत चौड़ाई 35 किमी. हो जाती है। वहीं उत्तर में बर्नी-बरेली घाटी पर सीमित होती जाती है।
हांडियाँ और नेमावर के नीचे हिरण जल प्रपात तक नदी दोनों ओर से पहाड़ियों से घिरी हुई है। इस भाग पर नदी का चरित्र भिन्न दिखाई देता है।
ओंकारेश्वर द्वीप जोकि भगवान शिव को समर्पित है मध्यप्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण नदी द्वीप है। तत्पश्चात् नर्मदा मध्यप्रदेश में 1077 किमी. बहते ह्ये गुजरात में प्रवेश करती है एवं 1312 किमी. की दूरी तय करते हुए खंभात की खाड़ी में प्रवेश कर जाती है।
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By Arvind singh kaurav
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