भील आन्दोलन (1818 ई)

मध्य प्रदेश के प्रमुख आंदोलन में से एक है भारत के उत्तर में विंध्याचल से लेकर दक्षिण पश्चिम में सह्याद्री या पश्चिमी घाट तक का अंचल भीलों का पुराना वास स्थान रहा है। वे स्वयं अपनी जमीनो के स्वामी थे । सामंत सरदारों द्वारा भीलों को हर तरह से परेशान किया जाता था । इसीलिए भील आंदोलन ने जन्म लिया।
भील आंदोलन के मुख्य कारण
- सामंत सरदारों व अरब सूबेदारों द्वारा इन पर किए गए अत्याचर
- बाजीराव द्वितीय के पेशवा बनने के कारण जसवंत राव होल्कर ने विद्रोह कर दिया तो मराठा सेना ने आकार भीलों की बस्ती उजाड़ दी।
- वर्ष 1816 में पिंडरियों ने पूर्वी पहाड़ियों के मुसलमान भील के सहयोग से इन भीलों पर जुल्म ढाएँ
- कृषि संबंधी कर की वृद्धि ने भी भीलों में अंसतोष की भावना को बढ़ाया
इसके पश्चात खानदेश का प्रांत जब अंग्रेजों के हाथों में आया तब तक उपरोक्त कारणों के परिणाम स्वरूप भीलों में विद्रोह की भावना जागृत हो चुकी थी। इन असन्तुष्ट भीलों ने उत्तर में सतपुड़ा की पहाड़ियों को अपना अड्डा बनाया । इसके साथ साथ दक्षिण में सातमाला तथा अजंता की पड़ियों को भी अपना अड्डा बनाया। उन्होंने आंदोलन की प्रक्रिया हेतु अपने विभिन्न गुट बनाएँ।
वर्ष 1817 खान देश के भीलों का विद्रोह हुआ। अंग्रेजों ने इस विद्रोह के पीछे पेशवा के मंत्री त्रयंबक का हाथ बताया। अंग्रेजों ने भीलों के दमन के लिए सक्रिय कदम उठाये परंतु भीलों के विद्रोह को कुचलने में नाकाम रहे
भीलों द्वारा राष्ट्रीयता के संदेश के लिए दो संकेतों का उपयोग किया
- लाल कमल का फूल (एक सिपाही दूसरे सिपाही को देता था जिसका अर्थ है सिपाही बलिदान के लिए तैयार है।)
- रोटी(एक गाँव दूसरे गाँव तक, जिस गाँव के लोग चपाती कहा लेते थे तो उसका मतलब था की पूरा गाँव विद्रोह के लिए तैयार है।) सिपाही बलिदान के लिए तैयार है।
भीलों के द्वारा अन्य विद्रोह :-
1831-धार राज्य के भीलों ने विद्रोह किया
1846 – मालवा के भीलों ने विद्रोह किया
1852 – खानदेश के भीलों का विद्रोह
1857 – भागोजी तथा कजर सिंह के नेतृत्व में विद्रोह
मध्य प्रदेश के इतिहास का विभाजन
सभी सरकारी नोकरीयो के लिए मेरे द्वारा एक साईड बनाई है उसको देख कर फि़डबेक दिजीए।