खजुराहो के मंदिर
खजुराहो के मंदिर का निर्माण चंदेल वंश द्वारा 950 से 1050 ईस्वी के बीच की गई थी वर्ष 1838 में ब्रिटिश इंजीनियर टीएस बर्ट ने इन मंदिरों की खोज की व खजुराहो समूह स्मारक मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को 1986 ई. में UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। ये मंदिर जैन धर्म तथा हिन्दु धर्म (वैष्ण व शैव) से संबंधित है।इस मंदिर के गर्भगृह में स्थित सूर्य,प्रतिमा के दायीं ओर चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित की गई है।
दोस्तमोहम्मद खान से संबंधित संपूर्ण जानकारी
चंदेल वंश के शासक धंगदेव ने खजुराहो में निम्न मंदिर बनवाए जिनमे जिननाथ,विश्वनाथ,वैद्यनाथ,पार्श्वनाथ – यह पंचरथ शैली से निर्मित जैन मंदिर है।
चंदेल वंश के शासक गंडदेव ने निम्न मंदिर बनवाए।
जगदम्बा देवी का मंदिर,चित्रगुप्त मंदिर – सूर्य को समर्पित। इस मंदिर के गर्भगृह में स्थित सूर्य,प्रतिमा के दायीं ओर चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित की गई है।
ऐतिहासिक अभिलेखों में दावा किया गया है कि इन मंदिरों के स्थान पर 12 वीं शताब्दी तक 85 मंदिर थे, इनमें से 20 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए, वर्तमान में केवल 25 मंदिर बच गए हैं। इन मंदिरों को जटकरी मंदिर भी कहा जाता है।
इतिहास में इन मंदिरों का सबसे पहला जो उल्लेख मिलता है, वह अबू रिहान अल बरूनी (1022 ई.) तथा अरब मुसाफ़िर इब्नबतूता का है।
खजुराहो के मंदिर (विशेषताएं)
सामान्य रूप से यहां के मंदिर बलुआ पत्थर से निर्मित किए गए हैं, लेकिन चौंसठ योगिनी, ब्रह्मा तथा ललगुआँ महादेव मंदिर ग्रेनाइट (कणाष्म) से निर्मित हैं। खजुराहों में देश का पहला हीरा संग्रहालय खुलने जा रहा है। यह मंदिर नागर तथा पंचायतन शैली में बने हैं।खजुराहो के मंदिरों की मूर्तियों में ‘कामुक भाव’ बहुत सामान्य है।
इन मंदिरों में मिथुन आकृतियां हैं, जो इतनी सजीव एवं निष्कपट जान पड़ती है कि मूर्ति कला पर सहज श्रद्धा उत्पन्न हो जाती है। हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों का निर्माण मथुरा शैली में किया गया है। यह मंदिर ऊंची जगती (चबुतरा) पर बनाए गए हैं। इन मंदिरों की नक्काशी जीवन के चार लक्ष्यों अर्थात् धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को दर्शाती है।
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